प्रभु यीशु की वापसी से संबंधित बाइबल की 5 भविष्यवाणियाँ पूरी की जा चुकी हैं

18.02.2020

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     सूचीपत्र

     1. युद्ध, अकाल और भूकम्प का होना

     2. इस्राएल का पुनर्स्थापन

     3. संसार के हर कोने में सुसमाचार का प्रचार किया जायेगा

     4. अधर्म बढ़ता जायेगा और विश्वासियों का प्रेम ठंडा पड़ जायेगा

     5. झूठे मसीहाओं और झूठे भविष्यद्वक्‍ताओं का दिखाई देना

     अब हम अंत के दिनों के आखिर समय में हैं, और ऐसे कई भाई-बहन हैं, जो प्रभु में ईमानदारी से विश्वास करते हैं और उनकी वापसी का इंतजार करते हैं। वे निश्चित रूप से इस प्रश्न पर विचार कर रहे होंगे: प्रकाशितवाक्य के अध्याय 22 पदसंख्या 12 में, प्रभु यीशु ने भविष्यवाणी की है, "देख, मैं शीघ्र आनेवाला हूँ।" प्रभु ने हमसे वादा किया है कि वह अंत के दिनों में फिर से आयेंगे, तो क्या वह अब लौट आये हैं? यह प्रश्न वास्तव में हम ईसाईयों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है, तो हम आख़िर हम यह कैसे जान सकते हैं कि प्रभु वास्तव में लौटे हैं या नहीं? वास्तविक तथ्य में, प्रभु यीशु ने पहले ही हमें बाइबल की भविष्यवाणियों के माध्यम से बता दिया है। अगर हम सभी तथ्यों को एक साथ लेकर उन पर विचार करते हैं, तो हमें इसका उत्तर मिल जाएगा।

1. युद्ध, अकाल और भूकम्प का होना

     मत्ती अध्याय 24, पदसंख्या 6 से 8 में लिखा है: "तुम लड़ाइयों और लड़ाइयों की चर्चा सुनोगे, तो घबरा न जाना क्योंकि इन का होना अवश्य है, परन्तु उस समय अन्त न होगा। क्योंकि जाति पर जाति, और राज्य पर राज्य चढ़ाई करेगा, और जगह जगह अकाल पड़ेंगे, और भूकम्प होंगे। ये सब बातें पीड़ाओं का आरम्भ होंगी।" हाल के वर्षों में दुनिया भर में हुई आपदाएं अधिक से अधिक गंभीर होती जा रही हैं। भूकंप, बाढ़, सूखा, जंगल की आग, अकाल और बीमारी का प्रकोप अक्सर होना और उनका व्यापक होना मनुष्य के बुरे सपने के सच होने जैसा है; दुनिया एक अस्थिर और अशांत स्थिति में है, युद्ध, हिंसक कार्य, क्षेत्रीय संघर्ष और आतंकवादी हमले अक्सर होते हैं और निरंतर बढ़ते ही जा रहे हैं। उदाहरण के लिए, अप्रैल 2015 में, अमेरिका के 16 राज्यों में एवियन फ्लू वायरस का पता चला, और विशेषज्ञों ने संकेत दिया कि अमेरिका में पिछले 30 वर्षों में यह एवियन फ्लू का सबसे खराब प्रकोप था। 25 अप्रैल, 2015 को मध्य नेपाल में भूकम्प आया जिसकी तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 8.1 थी, जिसके परिणामस्वरूप 22,000 लोग घायल हुए और लगभग 9,000 लोगों की मौत हो गई थी। नेपाल में 80 वर्षों से भी अधिक समय में यह सबसे बड़ी प्राकृतिक आपदा थी। नवंबर 2015 से जुलाई 2016 के बीच, पेरिस, ब्रुसेल्स और फिर नाइस ने कई आतंकवादी हमले देखे, जिसमें 700 से अधिक लोग घायल हुए और कम से कम 200 लोगों की मौत हो गई। अप्रैल 2016 में, भारत ने 40 वर्षों में सबसे खराब सूखे का अनुभव किया, जिससे 300 मिलियन से अधिक लोगों को पीने के लिए पर्याप्त पानी खोजने के लिए संघर्ष करना पड़ा। 4 से 6 फरवरी 2017 तक, भारी बर्फबारी के कारण, अफगानिस्तान और पाकिस्तान की सीमा पर एक श्रृंखला में हिमस्खलन हुए, जिसके कारण 100 से अधिक लोगों की मौत हो गई और लगभग 2,617 परिवार प्रभावित हुए, इन सब में कुल 15,702 लोग मारे गए। 1 अप्रैल, 2017 को दिन में, भारी बारिश की वजह से आई बाढ़ और भूस्खलन ने कोलंबिया के मोकोआ को प्रभावित किया, जिसमें कम से कम 316 लोग मारे गए, 332 लोग घायल हुए, और 103 लोग लापता हो गए। यह कोलंबिया के इतिहास में मौसम संबंधित तीसरी आपदा थी और इसे मोकोआ में आई अब तक की सबसे खराब आपदा माना जाता है। वास्तव में आपदाओं का बार-बार होना, परमेश्वर की ओर से मानवजाति को दिए गये अनुस्मारक के रूप में कार्य करता है, उनसे हम देख सकते हैं कि यह बाइबल की यह भविष्यवाणी बहुत पहले पूरी हो गयी है, और प्रभु फिर से आ गए हैं।

2. इस्राएल का पुनर्स्थापन

     मत्ती अध्याय 24, पदसंख्या 32 से 33 में लिखा है: "अंजीर के पेड़ से यह दृष्‍टान्त सीखो: जब उसकी डाली कोमल हो जाती और पत्ते निकलने लगते हैं, तो तुम जान लेते हो कि ग्रीष्म काल निकट है। इसी रीति से जब तुम इन सब बातों को देखो, तो जान लो कि वह निकट है, वरन् द्वार ही पर है।" जैसा कि हम सभी जानते हैं कि अंजीर के पेड़ पर नये पत्तों का आना, इस्राएल की बहाली के संदर्भ में बोला गया है। 14 मई, 1948 को इस्राएल को पुनर्स्थापित किया गया था। ये धर्मग्रंथ हमें बताते हैं कि जब हम इस्राएल को पुनर्स्थापित देखते हैं, तो इसका अर्थ है कि मनुष्य का पुत्र दरवाजे पर है। इस्राएल को बहाल हुए अब 70 साल हो गए हैं; 70 साल पहले, प्रभु दरवाजे पर थे, तो क्या उन्हें लौटे हुए बहुत समय नहीं हो गया? यह बहुत स्पष्ट है कि प्रभु यीशु की वापसी की यह भविष्यवाणी भी पूरी हो चुकी है।

3. संसार के हर कोने में सुसमाचार का प्रचार किया जायेगा

     मत्ती अध्याय 24, पदसंख्या 14 में लिखा है: "और राज्य का यह सुसमाचार सारे जगत में प्रचार किया जाएगा, कि सब जातियों पर गवाही हो, तब अन्त आ जाएगा।" "यह सुसमाचार ... प्रचार किया जायेगा" का मतलब है कि जब सारी दुनिया प्रभु यीशु के सुसमाचार को सुन लेती है, तब मसीह आयेंगे। (इसका मतलब यह नहीं है कि जब हर एक व्यक्ति ने सुसमाचार को सुन लिया है या जब हर एक व्यक्ति मसीह में विश्वास करने लगता है।) जब प्रभु यीशु को क्रूस पर चढ़ाया गया और उनके छुटकारे का कार्य पूरा हुआ, तो पवित्र आत्मा शिष्यों और प्रेरितों का मार्गदर्शन करने लगा ताकि वे प्रभु यीशु के साक्षी बन सकें। तब से, परमेश्वर का सुसमाचार धीरे-धीरे सभी तरह के माध्यमों, जैसे रेडियो, इंटरनेट, पुस्तकों, सुसमाचार पत्रक या विश्वासियों के प्रचार करने के द्वारा फैल गया है। ईसाई धर्म दुनिया भर में स्थापित हो गया है, और कई देश ईसाई धर्म को अपने राष्ट्रीय धर्म के रूप में भी मानते हैं। ईसाई भी दुनिया भर में फैले हुए हैं, और कई ऐसे भी हैं जो चीन में प्रभु यीशु के सुसमाचार को स्वीकार करते हैं, जो एक नास्तिक राजनीतिक दल द्वारा शासित है; प्रभु यीशु के छुटकारे का सुसमाचार दुनिया के अंतिम छोर तक फैल गया है। प्रिय भाइयों और बहनों, एक पल के लिए इसके बारे में सोचें: कौन सा ऐसा राष्ट्र है, दुनिया का कौन सा ऐसा क्षेत्र है, जिसने अब तक कभी प्रभु यीशु का सुसमाचार नहीं सुना है?

4. अधर्म बढ़ता जायेगा और विश्वासियों का प्रेम ठंडा पड़ जायेगा

     मत्ती अध्याय 24, पदसंख्या 12 में लिखा है: "अधर्म के बढ़ने से बहुतों का प्रेम ठण्डा पड़ जाएगा।" अब धर्म की दुनिया में अधर्म बढ़ता जा रहा है, और यह अब पवित्र आत्मा के कार्य या परमेश्वर की उपस्थिति से रहित है। भले ही कुछ लोगों में विश्वास की भावना प्रबल हो, फिर भी वे सांसारिक मार्ग पर चलते हैं। धन का लालच विश्वासियों के बीच व्यापक है, कुछ अपनी कलीसियाओं में सभी तरह के सामान बेचते हैं, कुछ व्यवसाय करते हैं, तो कुछ कारखाने चलाते हैं और खुद को पैसा बनाने में व्यस्त रखते हैं। वे प्रभु के लिए काम करने के बारे में बिल्कुल नहीं सोचते और वे सांसारिक उलझनों में फंसकर जीते रहते हैं। जब पादरी और एल्डर प्रचार करते हैं, तो वे प्रभु के वचनों का प्रचार करने के बजाय केवल बाइबल के ज्ञान और धार्मिक सिद्धांतों को समझाने पर ध्यान केंद्रित करते हैं; वे प्रभु की गवाही नहीं देते हैं या प्रभु को ऊँचा नहीं उठाते हैं, और वे प्रभु की इच्छा को समझने में विश्वासियों की अगुआई नहीं करते हैं। इस तरह, वे अपने श्रोताओं की अगुआई बाइबल के ज्ञान में करते हैं, और उनका झुंड परमेश्वर दूर होता जाता है; कुछ पादरी और एल्डर एक-दूसरे के साथ संघर्ष करते हैं, ईर्ष्यापूर्ण विवादों में लिप्त रहते हैं, वे गुट बनाने से भी पीछे नहीं हटते हैं, अलग-अलग गुटों और गिरोहों में बंट जाते हैं, चढ़ावे चुराते हैं, यौन दुराचार में लिप्त रहते हैं और उनके दिल में परमेश्वर का ज़रा भी भय नहीं होता है। ये अधर्म के कार्य अब धर्म की दुनिया में अधिक से अधिक हो रहे हैं और कलीसिया उजाड़ होती जा रही है। ये बातें हमें व्यवस्था के युग के अंत के बारे में सोचने पर मजबूर कर देती हैं, जब वो मंदिर उजाड़ दिखाई देता था जो पहले कभी यहोवा की महिमा से भरा था, पुजारी घटिया बलिदान चढ़ाते थे, और मंदिर एक बाज़ार बन गया था। क्या आज की कलीसियाओं और व्यवस्था के युग के अंत समय के मंदिरों के बीच कोई अंतर है? इससे हम देख सकते हैं कि बाइबल की यह भविष्यवाणी पूर्ण रूप से पूरी हो चुकी है, और प्रभु लौट आए हैं।

5. झूठे मसीहाओं और झूठे भविष्यद्वक्‍ताओं का दिखाई देना

     मरकुस अध्याय 13, पदसंख्या 6 में कहा गया है कि जब शिष्यों ने प्रभु यीशु से ये पूछा कि अंत के दिनों में उनके द्वितीय आगमन के समय कौन से चिह्न दिखाई देंगे, तो प्रभु यीशु ने कहा: "बहुतेरे मेरे नाम से आकर कहेंगे, 'मैं वही हूँ!' और बहुतों को भरमाएँगे।" और मत्ती अध्याय 24, पदसंख्या 24 में लिखा है: "क्योंकि झूठे मसीह और झूठे भविष्यद्वक्‍ता उठ खड़े होंगे, और बड़े चिह्न, और अद्भुत काम दिखाएँगे कि यदि हो सके तो चुने हुओं को भी भरमा दें।"

     प्रभु यीशु ने भविष्यवाणी की है कि जब वह अंत के दिनों में लौटेंगे, तो झूठे मसीह और झूठे भविष्यद्वक्ता दिखाई देंगे। पिछले कुछ वर्षों में, चीन, दक्षिण कोरिया और जापान जैसे देशों में एक के बाद एक झूठे मसीह और झूठे नबी सामने आए हैं। वे खुद को मसीह कहते हैं, न केवल वे स्वयं को यीशु के नाम स्वयं को स्वीकृत कराने की कोशिश करते हैं, बल्कि वे प्रभु यीशु के संकेतों और चमत्कारों की नकल करने की भी कोशिश करते हैं, बीमारों को ठीक करते हैं, दुष्टात्माओं को बाहर निकालते हैं, इत्यादि। अनेक झूठे मसीहाओं के दिखाई देने से, हम देख सकते हैं कि प्रभु यीशु की वापसी के विषय में यह भविष्यवाणी पूरी हो गई है, क्योंकि जब झूठे मसीह दिखाई देते हैं, तो वास्तव में असली मसीह पहले ही आ चुके होते हैं। इस समय, हमें और भी अधिक पहल करनी चाहिए और परमेश्वर के प्रकटन और कार्य की तलाश करनी चाहिए। शायद कुछ भाई-बहन कहें: "बहुत सारे झूठे मसीह और झूठे भविष्यद्वक्ता प्रकट हुए हैं। यदि हम उन्हें खोजने और उनकी जांच करने की पहल करें और धोखा खा जायें तो हम क्या करेंगे?" लेकिन अगर हम धोखा खाने के डर से परमेश्वर के प्रकटन और कार्य की तलाश और जांच नहीं करते हैं, तो हम यह नहीं जान पाएंगे कि प्रभु लौट आए हैं, और क्या इससे हमारे त्यागे जाने की संभावना और नहीं बढ़ जाएगी? क्या यह ऐसा नहीं होगा जैसे दम घुटने के डर से हमने खाना बंद कर दिया है, और थोड़ा बचाने की ख़ातिर बहुत कुछ खो रहे हैं? इससे, हम देख सकते हैं कि धोखा खाने के डर से, प्रभु की वापसी का प्रचार करने वालों के प्रति कुछ भी नहीं सुनना, कुछ भी नहीं देखना और कुछ भी नहीं छूना के दृष्टिकोण को अपनाना मूर्खतापूर्ण है। यदि हम प्रभु यीशु की वापसी का स्वागत करना चाहते हैं, तो यह महत्वपूर्ण है कि हम झूठे मसीह और सच्चे मसीह के बीच अंतर बताने में सक्षम हों। केवल इस तरह से हम प्रभु का स्वागत कर सकते हैं और धोखा खाने से बच सकते। तो झूठे मसीह के लक्षण क्या हैं? प्रभु यीशु ने कहा है, "क्योंकि झूठे मसीह और झूठे भविष्यद्वक्‍ता उठ खड़े होंगे, और बड़े चिह्न, और अद्भुत काम दिखाएँगे।" प्रभु के वचनों से, हम देख सकते हैं कि झूठे मसीह की मुख्य विशेषताएं हैं: वे केवल कुछ सरल संकेत और चमत्कार कर सकते हैं, मिथ्या उपदेश दे सकते हैं जो सत्य प्रतीत होते हैं लेकिन जो वास्तव में झूठे हैं, लोगों को धोखा देने के लिए हैं; वे मानवजाति के पाप करने और स्वीकार करने की समस्या को हल करने के लिए किसी भी सत्य को व्यक्त करने में पूरी तरह से असमर्थ हैं, वे मानवजाति को उसी के भ्रष्टाचार से नहीं बचा सकते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि झूठे मसीहाओं का सार बेहद दुष्ट बुरी आत्माओं का है, और वे पूरी तरह से सत्य से रहित हैं। केवल मसीह ही सत्य, मार्ग और जीवन हैं; केवल मसीह सत्य को व्यक्त कर सकते हैं, हमें रास्ता दिखा सकते हैं और हमें जीवन प्रदान कर सकते हैं। वे सभी जो हमारी आपूर्ति के लिए सत्य को व्यक्त नहीं कर सकते हैं और केवल कुछ सरल संकेत और चमत्कार दिखा सकते हैं वे झूठे मसीह हैं-यह सच्चे मसीह से झूठे मसीह के बीच अंतर बताने का मूलभूत सिद्धांत है। प्रभु के वचन अगर हमारा आधार हों तो, हमें धोखा खाने के बारे में चिंता करने की आवश्यकता नहीं है। झूठे मसीह और सच्चे मसीह के बीच अंतर को विशेष रूप से कैसे बताया जाए, यह जानने के लिए कृपया इस अद्भुत फिल्म सच्चे मसीह और झूठे मसीहों में अंतर कैसे करें, की क्लिप देखें।

      उपरोक्त तथ्यों से, हम देख सकते हैं कि प्रभु यीशु की वापसी से संबंधित सभी भविष्यवाणियाँ पूरी हो चुकी हैं-प्रभु लौट आए हैं। हालाँकि, बहुत से लोग यह ज़रूर पूछेंगे: "यदि प्रभु वापस लौट आए हैं, तो हमने उनका स्वागत क्यों नहीं किया?" क्या आपने कभी सोचा है कि जिस तरह से हम प्रभु यीशु की वापसी का स्वागत करते हैं, उसमें कुछ गलत हो सकता है? जब प्रभु यीशु की वापसी की बात आती है, तो बहुत से लोग झूठे मसीहाओं से बचने को अपनी पहली प्राथमिकता बना लेते हैं। वे अपनी धारणाओं और कल्पनाओं से चिपके रहते हैं और मानते हैं कि प्रभु की वापसी की गवाही देने वाले सभी झूठे हैं, और वे इस बात पर ध्यान नहीं देते हैं कि कैसे एक बुद्धिमान कुंवारी बनें और परमेश्वर की वाणी सुनें। कुछ लोग प्रभु यीशु के नाम को पकड़े हुए, उनके मार्ग का पालन करते हुए, उनकी राह ताकने और प्रतीक्षा करने पर ध्यान देते हैं। लेकिन यह केवल निष्क्रिय प्रतीक्षा है, वे कभी भी पहल नहीं करते हैं और खोज और जांच करने के लिए आगे नही बढ़ते हैं, और वे प्रभु की वाणी सुनने पर ध्यान नहीं देते हैं। इस तरह से अभ्यास करके हम प्रभु का स्वागत कैसे कर सकते हैं? प्रभु यीशु ने कहा है, "मेरी भेड़ें मेरा शब्द सुनती हैं; मैं उन्हें जानता हूँ, और वे मेरे पीछे पीछे चलती हैं" (यूहन्ना 10:27)। "माँगो, तो तुम्हें दिया जाएगा; ढूँढ़ो, तो तुम पाओगे; खटखटाओ, तो तुम्हारे लिये खोला जाएगा" (लूका 11:9)। "धन्य हैं वे, जो मन के दीन हैं, क्योंकि स्वर्ग का राज्य उन्हीं का है। ...धन्य हैं वे, जिन के मन शुद्ध हैं, क्योंकि वे परमेश्‍वर को देखेंगे" (मत्ती 5:3, 8)। प्रभु विश्वासयोग्य है, जब तक हमारे पास तलाश करने वाला सच्चा दिल है और हम अंत के दिनों में प्रभु की उपस्थिति और कार्य की सक्रिय रूप से जांच करते हैं, प्रभु की वाणी को सुनते हैं, देखते हैं कि इस मार्ग में सत्य की कोई अभिव्यक्ति है या नहीं, यह हमें जीवन प्रदान कर सकता है या नहीं, तब तक प्रभु निश्चित रूप से अपने दूसरे आगमन को पहचानने में हमारा मार्गदर्शन करेंगे!

स्रोत: सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया

      अनुशंसित: अब अंत के दिन है, यीशु मसीह का आगमन की भविष्यवाणियां मूल रूप से पूरी हो चुकी हैं। तो हम किस प्रकार बुद्धिमान कुंवारी बने जो प्रभु का स्वागत करते हैं? जवाब जानने के लिए अभी पढ़ें और देखें।

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