धर्मोपदेश और संगति: आपदा से पहले स्वर्गारोहित होने के लिए परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य को स्वीकारो और प्रभु के साथ दावत में भाग लो

29.10.2019

अब अंत के दिनों में, परमेश्वर प्रकट हुए हैं और कार्य शुरू कर दिया है, यानी, देहधारी सर्वशक्तिमान परमेश्वर ने अंत के दिनों के लिए अपना न्याय का कार्य शुरू कर दिया है; इसलिए वे जो सर्वशक्तिमान परमेश्वर के कार्य को स्वीकार कर सकते हैं सबसे अधिक धन्य हैं। कुछ धार्मिक लोग इसे सुनते और अस्वीकार करते हैं, वे इस वाक्य को स्वीकृति नहीं देते, वे कहते हैं: "हमारा प्रभु यीशु सच्चा परमेश्वर है, प्रभु यीशु मसीह हैI हमें स्वर्ग के राज्य में प्रवेश के लिए सर्वशक्तिमान परमेश्वर पर विश्वास करने की जरूरत नहीं है।" क्या सभी धार्मिक लोग इसी तरह सोचते हैं? क्या यह परमेश्वर के इरादों के अनुरूप है? प्रभु यीशु ने यह कभी नहीं कहा कि अगर तुम उन पर विश्वास करते हो तो तुम स्वर्ग के राज्य में प्रवेश कर सकते हो, उन्होंने ऐसा नहीं कहा था। उन्होंने यह भी नहीं कहा था कि अगर तुम छुटकारे के कार्य को स्वीकार करते हो तो वह तुम्हारे पापों को क्षमा करेंगे और तुम्हें स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करने की अनुमति देंगे। न ही उन्होंने यह कहा कि अगर तुम प्रभु यीशु के नाम पर, इन तीन शब्दों पर टिके रहते हो, तो तुम स्वर्ग के राज्य में प्रवेश कर सकते हो। उन्होंने ऐसा नहीं कहा था। उन्होंने कहा कि अंत के दिनों में, वे सभी जो दूल्हे के आगमन के बारे में सुनकर उसका स्वागत करते हैं और उसके साथ भोजन करते हैं, वे धन्य हैं। ये लोग स्वर्गारोहित होंगे और उन्हें स्वर्ग के राज्य में प्रवेश का अवसर मिलेगा। बुद्धिमान कुंवारियाँ प्रभु की वापसी को स्वीकार कर सकती हैं; मुर्ख कुंवारियाँ प्रभु की वापसी को स्वीकार नहीं करेंगी। मुर्ख कुंवारियों का अंत क्या होगा? उन्हें त्याग दिया जाएगा, हटा दिया जाएगा! इसलिए, केवल वही जो प्रभु में विश्वास करते हैं, केवल बुद्धिमान कुंवारियाँ ही परमेश्वर के अंत के दिनों के कार्य को स्वीकार कर सकती हैं, सर्वशक्तिमान परमेश्वर द्वारा व्यक्त की गई सच्चाई के माध्यम से परमेश्वर की आवाज़ को पहचान सकती हैं, और परमेश्वर की वापसी की निश्चितता देख सकती हैं। प्रभु इस तरह के लोगों के साथ होते हैं। वे प्रभु के साथ भोजन करेंगे, अंततः शुद्ध किये जायेंगे, बचाए जायेंगे और स्वर्ग के राज्य में ले जाए जायेंगे

जीवन में प्रवेश पर धर्मोपदेश और संगति से (श्रृंखला 131) 

मानवजाति का उद्धार मुख्य रूप से दो चरणों में होता है: पहला, देहधारी परमेश्वर ने पाप-बलि बनकर, छुटकारे का कार्य कियाI दूसरा, देहधारी परमेश्वर मानव का न्याय करता है, उसे ताड़ना देता है और उसे शुद्ध करता है। यह मानवजाति के लिए परमेश्वर के उद्धार के कार्य की सच्ची गवाही है। अगर आप केवल पहले चरण को स्वीकार कर सकते हैं, जो सिर्फ पाप-बलि को स्वीकार करना है, लेकिन अंत के दिनों में परमेश्वर के न्याय और ताड़ना को स्वीकार नहीं कर सकते, तब पाप-बलि का कोई मतलब नहीं है। पाप-बलि मानव को शुद्ध नहीं करती; वो ऐसा नहीं कर सकती। केवल न्याय और ताड़ना ही मानव को शुद्ध कर सकते हैं। तो पाप-बलि क्या है? यह आपको योग्यता देता है। अगर आप इसे स्वीकार करते हैं और प्रभु यीशु के नाम को स्वीकार करते हैं, आपके पाप क्षमा कर दिये जायेंगे, और आप परमेश्वर से प्रार्थना करने, उसके सामने आने और उसके कार्य को स्वीकार करने के योग्य हैं। क्या यह एक तरह की योग्यता नहीं है? कुछ कहते हैं, "यह गलत है। जैसे ही हम प्रभु यीशु को स्वीकार करते हैं, वैसे ही हमारे पाप क्षमा होते हैं। आप कैसे कह सकते हैं यह सिर्फ एक तरह की योग्यता है?" क्या यह सोचने का सही तरीका है? क्या यह तर्क मान्य है? क्या पाप क्षमा करना शुद्ध किये जाने के बराबर है? नहीं, यह नहीं है। इस प्रकार, आपके पापों को क्षमा करना परमेश्वर की कृपा है, उसकी कृपा आप पर उड़ेलना है। परमेश्वर आपके पापों की उपेक्षा करेगा, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि आप बिना पाप के हैं, और निश्चित तौर पर इसका यह मतलब भी नहीं है कि आप पाप नहीं करेंगे। इसलिए, विश्वासी जिनके पाप क्षमा किये जाते हैं, वे अभी भी पाप कर सकते हैं; झूठ बोल सकते हैं और पहले की तरह धोखा दे सकते हैं और लगातार पाप करने और फिर पापों को स्वीकारने के चक्र में फँसे रह सकते हैं। क्या यह सच नहीं है? अगर आप इसे सच्चाई के नज़रिये से देखते हैं, तो फिर क्या पाप-बलि मानव के शुद्धिकरण का प्रतिनिधित्व कर सकती है? क्या यह शुद्धिकरण का कार्य है? यह सिर्फ मानव को योग्यता देती है। जब एक बार आपके पास यह योग्यता होती है, आप परमेश्वर से प्रार्थना कर सकते हैं और उसकी कृपा का आनन्द ले सकते हैं। तो फिर, परमेश्वर की कृपा क्या है? यह आपको क्षमा करना है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि आप शुद्ध हैं। यह बस माफ़ी है। अनुग्रह के युग में पाप-बलि दिए जाने के बाद, क्या मानव स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करने के योग्य बन गया था? वो नहीं बना। हमारे पास क्या सबूत है? प्रभु यीशु ने कहा था, "जो मुझ से, 'हे प्रभु! हे प्रभु!' कहता है, उनमें से हर एक स्वर्ग के राज्य में प्रवेश न करेगा, परन्तु वही जो मेरे स्वर्गीय पिता की इच्छा पर चलता है" (मत्ती 7:21)। अगर आप कहते हैं, "हे प्रभु! हे प्रभु!" तो क्या आपके पाप क्षमा नहीं किये गए हैं? आप स्वर्ग के राज्य में प्रवेश क्यों नहीं कर सकते? इन वचनों के अनुसार, आप अभी भी स्वर्ग के राज्य में प्रवेश नहीं कर सकते, भले ही आपके पाप क्षमा कर दिए गए। यह आपको राज्य में प्रवेश की योग्यता नहीं देता है; यह सिर्फ आपको परमेश्वर की प्रार्थना करने, और उसके सामने आने का अधिकार देता हैI तो फिर परमेश्वर ने क्यों मानव के लिए पाप-बलि दी? परमेश्वर पवित्र है। अगर आप एक पापी हैं, जो पाप करता है, और अगर आप शैतान की तरह हैं, आप परमेश्वर की गवाही देने के योग्य नहीं हैं। आप न तो उनकी गवाही देने के योग्य हैं और न ही उनकी प्रार्थना के। अगर आप उनसे प्रार्थना करते, तो आप उन्हें शर्मिंदा करते और उनके नाम को कलंकित करते। इसलिए, परमेश्वर ने पाप-बलि दी। उन्होंने आपके पापों को क्षमा किया। उन्होंने उनकी उपेक्षा की और आपको माफ़ कर दिया ताकि आप उनके सामने प्रार्थना के योग्य बनें। प्रभु यीशु के कार्य ने अंत के दिनों में न्याय और ताड़ना के लिए मार्ग खोल दिया। उसने पाप-बलि दी, और इसके माध्यम से, मानव यीशु के दूसरे आगमन को प्राप्त करने के और अंत के दिनों में परमेश्वर के न्याय और ताड़ना को स्वीकार करने के योग्य हो पाया है। पाप-बलि का काम इसी बारे में था।

जीवन में प्रवेश पर धर्मोपदेश और संगति से (श्रृंखला 136)

अंत के दिनों में परमेश्वर का मानव के न्याय और ताड़ना का कार्य किस प्रकार का है? यह मानवजाति को बचाने और पूर्ण करने का कार्य है; यह इन लोगों को उद्धार की ओर ले जाने और उन्हें परमेश्वर के राज्य में लाने का कार्य है। स्वर्ग के राज्य में स्वर्गारोहित किये जाने के लिए हर किसी का न्याय और उसे ताड़ित किया जाना चाहिए। परमेश्वर के न्याय और ताड़ना का अनुभव करना परमेश्वर द्वारा स्वर्गारोहित किये जाने और स्वर्ग के राज्य में ले जाए जाने के व्यवहारिक कार्य का अनुभव करना होता है। स्वर्ग के राज्य में स्वर्गारोहित किये जाने का क्या अर्थ है? यह शुद्ध किये जाने के लिए परमेश्वर के न्याय और ताड़ना को स्वीकार करना, इस तरह से स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करना और बने रहना है। "नहीं तो आपको कभी भी परमेश्वर द्वारा प्रशंसा प्राप्त किये जाने का अवसर नहीं मिलेगा।" परमेश्वर किस तरह के व्यक्ति की प्रशंसा करता है? वह उसकी प्रशंसा करता है जो परमेश्वर के न्याय और ताड़ना का अनुभव करने के माध्यम से शुद्ध और पूर्ण होते हैं। अब आपने इस मामले को स्पष्ट रूप से देख लिया है? यह एक दृष्टिकोण है, और आपको परमेश्वर के कार्य का दृष्टिकोण स्पष्ट रूप से देखना चाहिए, क्योंकि यह इकलौता अवसर है, आने वाली सदियों का एकमात्र अवसर। यह स्वर्ग के राज्य में प्रवेश का इकलौता अवसर है। परमेश्वर के कार्य का अनुभव करने वाले इज़राइलियों को इस तरह का अवसर नहीं दिया गया, दो हज़ार वर्षों के अनुग्रह के युग के दौरान, प्रभु यीशु में विश्वास करने वालों को भी यह अवसर नहीं दिया गया था, इसके बजाय, अंत के दिनों में जन्म लेने वाले जिन्होंने परमेश्वर के कार्य को स्वीकार कर लिया है, उन्हें यह अवसर दिया गया है। अगर आप यह अवसर खो देते हैं, तो आपके पास फिर कभी परमेश्वर द्वारा प्रशंसा पाने का अवसर नहीं होगा। परमेश्वर द्वारा प्रशंसा पाने के अवसर के बिना, क्या आप स्वर्ग के राज्य में प्रवेश कर सकते हैं? अगर ऐसा है, तो आप कभी प्रवेश नहीं कर पायेंगे, क्योंकि यही इकलौता मौका है।

जीवन में प्रवेश पर धर्मोपदेश और संगति से (श्रृंखला 122)

स्रोत : सर्वशक्तिमान परमेश्वर की कलीसिया 

अनुशंसित: क्या आप जानते हैं कि स्वर्गारोहण क्या है? सर्वशक्तिमान परमेश्वर के वचन आपको उत्तर बतायेंगे।

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